Sunday, 30 September 2012

भारतेन्दु हरिश्चन्द्र

निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति को मूल।
बिनु निज भाषा-ज्ञान के, मिटत न हिय को सूल॥
अँग्रेजी पढ़ि के जदपि, सब गुन होत प्रवीन।
पै निज भाषा-ज्ञान बिन, रहत हीन के हीन॥

भारतेन्दु हरिश्चन्द्र

1 comments:

Unknown said...

hindi bhasha sdaaa amar thi..hai..or rhegii

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